Dhan Ki Kheti Kaise Kare: भारत में धान की खेती मानसून के समय में की जाती है। भारत में धान की खेती अधिकतर किसान बरसात के समय में ही करना पसंद करते हैं। क्योंकि उसे समय सिंचाई करने की जरूरत नहीं पड़ती है। कुछ किसान भाई साल में दो बार धान की खेती करते हैं। जहां छत्तीसगढ़ केरल अन्य दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में धान की खेती पूरे साल की जाती है। क्योंकि धान एक प्रमुख फसल है। इसलिए सभी किसान भाई बहुत ही अच्छे से इसकी खेती करते हैं। वहीं उत्तर प्रदेश उत्तराखंड हरियाणा पंजाब हिमाचल प्रदेश के किसान धान की खेती बरसात के समय करना पसंद करते हैं। और इस समय काफी ज्यादा उपज भी होती है।
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आज के समय में धान की खेती पूरे देश भर में की जाती है। ग्रामीण क्षेत्र में भी छोटे बड़े किसान इसकी खेती बहुत ही अच्छे से करते हैं। जबकि दक्षिण भारत से लेकर पश्चिम बंगाल तक इसकी खेती काफी ज्यादा की जाती है। और भारत में इसकी इतनी ज्यादा खेती होती है कि इसका निर्यात भी बहुत सारे देशों में किया जाता है। और आज के समय में भारत धान की खेती करने की दृष्टि से दूसरे नंबर पर है इसमें प्रमुख फसल बासमती, मोटा, मध्य मोटा, पटेल चावल, सोना मंसूरी इत्यादि तरह की धान की खेती की जाती है। अगर आप भी धान की खेती करना पसंद करते हैं तो आज आपको बताया जाएगा कि धान की खेती कैसे अच्छे से की जा सकती है।

धान की रोपाई
धान की खेती के लिए कई तरह के विधि अपने जाते हैं। धान की खेती की सबसे अच्छी उपज के लिए सबसे पहले इसका बीज बोया जाता है। और जब तीन चार फीट का हो जाए तो इसकी रोपाई की जाती है। क्योंकि सबसे पहले ज्ञान की नर्सरी डाला जाता है। जब नर्सरी 20-25 दिन का हो जाता है तो इससे अच्छे से बुखार कर फिर से रोपा जाता है। धान की रोपाई करने से पहले खेत में लैव लगाया जाता है। जिसमें करीब घुटने भर तक पानी में रोपाई की जाती है।
धान के लिए उपयुक्त जलवायु
धान के लिए वायु का औसतन तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान सबसे अनुकूल माना जाता है। और सभी किसान भाई इसी तापमान में धान की खेती करना पसंद करते हैं। धान की सामान्य वृद्धि और विकास के लिए दिन का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस जबकि रात का तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच प्रयुक्त होता है।
धान की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
धान की अच्छी उपज के लिए अच्छी मिट्टी का होना भी जरूरी है दोमट, हल्की दोमट या मटियार मिट्टी अच्छी मानी जाती है। ऐसे क्षेत्र जहां 2 से 4 इंच तक पानी हमेशा जाम रहता है। वहां सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है। क्योंकि धन की खेती में हमेशा बन से लेकर कटाई करने तक उसमें सिंचाई की जरूरत पड़ती है। इसलिए धान की खेती में हमेशा पानी होना बहुत ही जरूरी है तभी जाकर आपको अच्छा उपज प्राप्त हो सकता है। इसलिए मिट्टी के साथ पानी की भी प्रमुख आवश्यकता होती है।
धान की खेती की सिंचाई
धान की खेती की सिंचाई हमेशा करना पड़ता है इसलिए सभी किसान भाई मानसून के समय में ही धान की खेती करना पसंद करते हैं। जहां पर सालों भर धान की खेती होती है वहां पर हमेशा इसकी सिंचाई करने की आवश्यकता होती है। अगर जिस क्षेत्र में बरसात ना हो या गर्मी के मौसम में धान की खेती की जा रही है तो 7 से 10 सिंचाई की आवश्यकता पड़ सकती है।
धान की रोपाई से पहले
धान रोपाई से पहले धान नर्सरी की जड़ को फफूंद नाशक और कीटनाशक से औपचारिक करके रोपाई करने से धान के पौधे फफूंद जनित और कीटनाशक जनित बीमारी लगने से बचाया जा सकता है। इसलिए रोपाई करने से पहले अच्छी मिट्टी में इसकी नर्सरी की बुवाई करनी चाहिए। और उसके बाद फफूंद जनित कार्बन डाइऑक्साइड 12% मैनकाजेब 63% की 50 ग्राम मात्रा का एक एकड़ में डालें। और कीटनाशक के क्लोरो पर बीपी फोर्स 24EC की 1 लीटर मात्रा डालने के बाद रोपाई के बाद दीमक और सफेद गिडार पौधे की जड़ काली होकर जड़ सड़ने जैसी रोग से बचाया जा सकता है।
धान की खेती में उर्वरक
धान में भी जरूरी पोषक तत्व के लिए उर्वरक देना होता है। धान में, फास्फेट, नाइट्रोजन, और पोटाश की पूर्ति धान रोपाई के समय से 10 दिन के अंदर जरूर करदे।इसके लिए DAP, NPK, या सिंगल सुपर फा स्फेट को दें। इसके लिए मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरक देनी चाहिए।
- इस तरह से दें। N.P.K.12:32:16 की 70-75KG/एकड़
- DAP 18:46 की 45-50KG/एकड़
SSP की 100-150 KG/एकड़ देनी चाहिए - DAP देने पर साथ में MOP 60 की मात्रा 20KG मात्रा मिलाकर दें
- SSP के साथ यूरिया 35KG + 20KG साथ में मिलाए।
- दूसरी बार रोपाई के 20-35 दिन दिन पर यूरिया 55-50KG के साथ 5KG मोनो जिंक 33% मिलाकर देने से नाइट्रोजन और जिंक की पूर्ति हो जाएगी।
- यदि आप जिंक धान में नहीं देते है तो खैरा रोग लगता है,जिससे फ़सल को भारी नुकसान होता है।
खरपतवार नियंत्रण
- चौड़े पत्ते वाले नदीनों की रोकथाम के लिए 30 ग्राम मैटसल्फरोन 20 डब्लयू पी को प्रति एकड़ के हिसाब से 150 लीटर पानी में मिलाकर बीजने से 20-25 दिनों के बाद छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव करने से पहले खेत में रूके हुए पानी को निकाल दें और छिड़काव करने के एक दिन बाद खेत को फिर पानी दें।
- पौध को खेत में बीजने से 2-3 दिन बाद 1200 मि.ली. बूटाक्लोर 50 ई.सी. या 1200 मि.ली. थायोबैनकार्ब 50 ई.सी. या 1000 मि.ली. पैंडीमैथालीन 30 ई.सी. या 600 मि.ली. परैटीलाकलोर 50 ई.सी. प्रति एकड़ नामक बूटीनाशकों का प्रयोग करना चाहिए। इनमें से किसी भी बूटी नाशक को 60 किलोग्राम मिट्टी में मिलाकर 4-5 सैं.मी. खड़े पानी में फैला दें।
बीजों का चयन
आज के बाजार में चावल की 10000 से अधिक किस्म उपलब्ध हो चुकी है। देश भर में अलग-अलग चावल की प्रमुख किस्म उपलब्ध है जिसमें बासमती, जोहा, ज्योति, नवारा, पोनी, पूसा, सोना मंसूरी, जया, कालाज़िरी, बोली, केरल की रक्तशाली रेड कानूनी केवड़ा सब इत्यादि तरह की किस्म उपलब्ध हो चुकी है। और यह सभी अलग-अलग क्षेत्र में अपनी अलग ही पहचान में है।