Matar Ki Kheti Kaise Kare: दलहनी सब्जियों में मटर का अपना एक अलग ही महत्वपूर्ण स्थान है। और इसकी सब्जी सभी लोग काफी ज्यादा पसंद करते है। आज के समय में मटर की खेती काफी ज्यादा की जाती है। बाजार में इसका सबसे ज्यादा डिमांड है और किसानों को सबसे ज्यादा मुनाफा भी प्राप्त होता है। मटर की खेती से जहां एक और कम समय में पैदावार प्राप्त की जा सकती। वहीं यह भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में भी सहायक होती है।
फसल चक्र के अनुसार यदि इसकी खेती की जाए तो इससे भूमि उपजाऊ बनती है। और मटर में मौजूद राइजोबियम जीवाणु भूमि को उपजाऊ बनाने में सबसे सहायक होते हैं। इसलिए सभी किसान भाई साल में एक बार अपने खेतों में मटर की खेती जरूर करते हैं। इसी खेती अक्टूबर से नवंबर महीने के मध्य में की जाती है और बहुत जल्दी फसल तैयार हो जाता है। आजकल तो बाजार में साल भर मटर को सुरक्षित कर बेचा जा रहा है।
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मटर की फसल से किसानों को अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है और इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। एक ऐसा फसल है जो गेहूं के साथ भी वह देने से मटर का फसल प्राप्त हो जाता है। यह सरसों के फसल के साथ भी उसी खेत में इसे बोअ देने से भी अच्छा खासा मटर प्राप्त हो जाता है। अभी के समय में मटर की खेती उत्तर भारत में सबसे ज्यादा होती है। क्योंकि सभी सब्जियों में इसका उपयोग कर सकते हैं। लोग आज के समय में मटर आलू, मटर पनीर इत्यादि में मिलाकर खाना बहुत ज्यादा पसंद करते हैं।
मटर के और भी अलग-अलग पदार्थ बनाया जाता है। बाजारों में मटर सुख भुज कर भी बेचा जाता है जिनकी डिमांड काफी ज्यादा है। बड़े-बड़े कंपनी इसका उपयोग करते हैं और बाजार में इस नए रूप में लंच करते हैं। जो लोगों को काफी ज्यादा पसंद आता है, इसीलिए सभी किसान भाई बहुत अच्छे से इसकी खेती हर साल करते हैं।

मटर की वैरायटी / मटर की अगेती किस्म / मटर की अगेती किस्में व उनकी विशेषताएं
- 1. आर्किल: यह व्यापक रूप से उगाई जाने वाली यह प्रजाति फ्रांस से आई विदेशी प्रजाति है। इसका दाना निकलने का प्रतिशत अधिक (40 प्रतिशत) है। यह ताजा बाजार में बेचने और निर्जलीकरण दोनों के लिए उपयुक्त है। पहली चुनाई बोआई के बाद 60-65 दिन लेती है। हरी फली के उपज 8-10 टन प्रति हेक्टेयर है।
- 2. बी.एल.: अगेती मटर – 7 (वी एल – 7)- विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा में विकसित प्रजाति है। इसका छिलका उतारने पर 42 प्रतिशत दाना के साथ 10 टन / हेक्टेयर की औसत उपज प्राप्त होती है।
- 4. जवाहर मटर 3: यह प्रजाति जबलपुर में टी 19 व अर्ली बैजर के संकरण के बाद वरणों द्वारा विकसित की गई है। इस प्रजाति में दाना प्राप्ति प्रतिशत अधिक (45 प्रतिशत) होता है। बुवाई के 50-50 दिनों के बाद पहली तुड़ाई प्रारंभ होती है। औसत उपज 4 टन/हैक्टेयर है।
- 5. जवाहर मटर – 4 ( जे एम 4): यह प्रजाति जबलपुर में संकर टी 19 और लिटिल मार्वल से उन्नत पीड़ी वरणों द्वारा विकसित की गई थी। इसकी 70 दिनों के बाद पहली तुड़ाई शुरू की जा सकती है। इसके 40 प्रतिशत निकाले गए दानों से युक्त औसत फल उपज 7 टन/ हैक्टेयर होती है।
मटर की बुवाई का सही समय
अगर आप मटर की बुवाई अच्छे समय पर करते हैं तो इसकी अच्छा फसल प्राप्त हो जाएगा। इसकी खेती के लिए अक्टूबर से नवंबर माह सबसे उपयुक्त माना जाता है और इस समय आपको खेती कर लेनी चाहिए। क्योंकि इस समय औसत तापमान 22 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। और इतने में आपकी अच्छा खेती हो जाएगी क्योंकि 10 से 18 डिग्री सेल्सियस का तापमान बेहतर माना जाता है।
भूमि व जलवायु मटर के लिए
इसी खेती के लिए मटियार दोमट और दोमट भूमि सबसे उपयुक्त होती है जिसका पीएच मान 6 से 7 होना चाहिए। क्योंकि इसकी खेती के लिए अम्लीय भूमि सब्जी वाली मटर की खेती के लिए बिल्कुल उपयोग नहीं मानी जाती इसकी खेती के लिए अक्टूबर महीना सबसे अच्छा माना जाता है।
खाद्य व उर्वरक
मटर के समांतर 20 किलोग्राम नाइट्रोजन और 60 किलोग्राम फास्फोरस बोयाइ के समय देना प्राप्त होता है। इसलिए आपको इतना जरूर उपयोग करना चाहिए। क्योंकि इसके लिए 100 से 125 किलोग्राम डायमिनियम फास्फेट प्रति हेक्टेयर दिया जा सकता है। जिन क्षेत्रों में गढ़ की कमी हो वहां बुवाई के समय गंधक भी देना होगा। और ध्यान रहे की सारी हुई गोबर का भी उपयोग करना चाहिए। जिससे आपके खेतों की उर्वरक क्षमता काफी ज्यादा बढ़ जाएगी।
मटर की सिंचाई कब करें
मटर की सिंचाई मटर के पौधे निकालने के बाद कर देनी चाहिए। क्योंकि मटर की यूनिट खेती में प्रारंभ में मिट्टी में नमी और सेट रितु की वर्षा के आधार एक से दो बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई फूल आने के समय और दूसरी सिंचाई फलिया बनने के समय कर देनी चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए की हल्की सिंचाई करें फसल में पानी ठंडा नहीं चाहिए।
कटाई
मटर की फसल सामान तो 120 से 150 दिनों में पकड़ तैयार हो जाता है। उसके बाद 5 से 7 दिन धूप में सूखने के बाद बालों से मारी करनी चाहिए। साफ दोनों को 2 से 3 दिन धूप में सुखाकर उसको भंडारण में रख देना चाहिए। भंडारा के दौरान कीटों की सुरक्षा के लिए अल्युमिनियम फास्फाइड का उपयोग करना सबसे फायदेमंद साबित होता है।