Aalu Ki Kheti Kaise Kare: आलू की खेती कैसे करें

Aalu Ki Kheti Kaise Kare: आलू विश्व की सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल है। आलू की एक ऐसी फसल है जो हमेशा गरीब आदमी का दोस्त बना रहता है। क्योंकि बहुत सारे बाजारों में सब्जियां बिकती है। मगर आलू की कीमत एक समान रूप में ही देखा जाता है। देश में आलू की खेती पिछले 300 सालों से भी ज्यादा समय से होती आ रही है। और सब्जी परियोजनाओं के लिए यह देश के सबसे लोकप्रिय फसल में से एक माना जाता है। इसीलिए आज के समय में देश के हर नागरिक आलू खाना पसंद करते हैं। अगर आप भी आलू की खेती करना चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर अंत तक बन रहे जहां पर आपको संपूर्ण जानकारी दी जाएगी।

आलू एक किफायती भोजन है जो मानव आहार के लिए कम लागत वाली ऊर्जा का स्रोत करता है। क्योंकि आलू में स्टार्च विटामिन सी, विटामिन बी और खनिजों का समृद्धि स्रोत माना जाता है। जिसमें 20% से अधिक कार्बोहाइड्रेट 2.1% प्रोटीन 0.3% वर्षा 1.1% कच्चा फाइबर और 0.9% रख होती है। जो मानव शरीर के लिए काफी फायदेमंद साबित होते हैं।

Aalu Ki Kheti Kaise Kare

आलू की खेती के लिए सबसे पहले आवश्यक मिट्टी का चुनाव करना होगा। क्योंकि हर जगह हर तरह की मिट्टी पाई जाती है मगर आलू के लिए एक पार्टिकुलर मिट्टी की ही जरूरत पड़ती है। जिसमें बलुई दोमट, दोमट चिकनी मिट्टी अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट से भरपूर मध्य दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। और सबसे खास बात है कि इसकी लवणीय मिट्टी उपयुक्त नहीं होती है। आलू की खेती के लिए अम्लीय मिट्टी जिसका पीएच मान 5 से 6.5 के बीच होना चाहिए।

Aalu Ki Kheti Kaise Kare: आलू की खेती कैसे करें
Aalu Ki Kheti Kaise Kare

आलू की खेती के लिए जलवायु

आलू ठंडा मौसम की फसल है यह ठंडा क्षेत्र में सबसे अच्छा उपज प्राप्त करता है। क्योंकि इस समय मिट्टी का तापमान 17 और 19 डिग्री सेल्सियस के बीच ज्यादातर रहता है। और इतना ही एक आलू की खेती के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। मिट्टी का तापमान कांड के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसलिए इतना होना बहुत ही अच्छा माना जाता है। यदि तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ जाता है तो कान का विकास रुक जाता है। और इस काम करने के लिए ठंडी रातों के साथ-साथ धूप की भी आवश्यकता होती है। आलू को कंधों से वनस्पति रूप में परिवर्तित किया जाता है। आलू के बीजों की रोपाई आलू के रूप में की जाती है।

आलू की रोपाई के लिए खेत की तैयारी कैसे करें

आलू की फसल को अच्छे कंगिकरण के लिए अच्छी तरह से चुनिंदा मिट्टी की आवश्यकता होती है। और अच्छी मिट्टी का चुनाव अगर आप कर लेते हैं तो अच्छा फसल का उपज हो जाता है। आलू को रवि की फसल के साथ बोया जाता है और खरीफ की फसल के तुरंत बाद इसकी कटाई कर दी जाती है। एक बार मीठी पलटने वाले हाल से 20 से 25 सेंटीमीटर गहरी जुताई जरूर अच्छे से कर ले। उसके बाद फिर से दो से तीन बार हीरो चलकर जुताई करें अथवा 4 से 5 जुताई देशी हल से करनी चाहिए। ऐसा करने से आपकी मिट्टी भुरभुरा हो जाएगा और आलू को पर्याप्त नमी मिलेगी जिससे अच्छी उपज हो सके।

समतल विधि

अगर आप समतल में आलू की बुवाई करना चाहते हैं तो समतल पैकिंग नाली की तरह खींचना होगा। और इस विधि में अंकुरण के बाद 10 से 12 सेंटीमीटर ऊंची मीत बनाई जाती है।

मेड़ों ऊपर आलू की रोपाई

खेत की तैयारी के बाद थोड़ी-थोड़ी दूरी पर मेरे बनाई जाती है और उसे पर आलू की खेती की जाती है। खुरपी या कुदाल की सहायता से 15 से 20 सेंटीमीटर दूरी पर आलू की रोपाई मेरे ऊपर की जाती है।

जल प्रबंधन आलू की खेती के लिए

आलू की फसल अच्छे जल प्रबंधन के प्रति काफी स्वादानशील होती है। इसीलिए फसल में अतिरिक्त पानी को हटाना आवश्यक होता है। जब आप आलू की खेती कर रहे हैं तो 2 से 3 बार सिंचाई की जरूरत पड़ सकती है। और ध्यान रहे कि ज्यादा पानी का ठहराव भी अच्छा नहीं है। इसीलिए जल निकासी की भी सख्त जरूरत पड़ती है सिंचाई माध्यम से भारी हो सकती है। लेकिन मेरे ऊपर पानी की अधिक भराव नहीं होना चाहिए।

फसल काटने का समय

फसल की कटाई तप करनी चाहिए जब डेंटल पीले पर कर जमीन पर गिरने लगे और इस स्तर पर जमीनी स्तर पर ढेर हटा दिए जाने चाहिए। और उसके बाद 15 दिन हो जाए तो कतई कर लेनी चाहिए कटाई के समय मिट्टी में अधिक नमी होनी चाहिए। ध्यान रहे की खुदाई के बाद कंधों को कुछ समय के लिए जमीन पर छाया में सूखने के लिए छोड़ देनी चाहिए जिससे आपका आलू की फसल बर्बाद ना हो।

आलू की उपज

जब आप आलू की खेती कर रहे हैं तो ध्यान देने वाली बात है कि अगर अच्छी उपजाऊ मिट्टी है तो प्रति हेक्टेयर 300 से 4 से क्विंटल उपज हो सकती है। हालांकि निचली घाटियों को छोड़कर पहाड़ी इलाकों में पैदावार 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक नहीं होती है।

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