Mungfali Ki Kheti Kaise Kare: मूंगफली एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है जिसका उपयोग तेल निकालने खाद्य पदार्थों में और पशु आहार के रूप में और सीधे खाने के लिए भी किया जाता है। मूंगफली में नाइट्रोजन सक्षम होता है और सबसे ज्यादा प्रोटीन की मात्रा होती है जो हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद साबित होते हैं। इसीलिए यह बाजारों में काफी महंगी कीमत में बिकता है। भारत मध्य से जाने वाली मूंगफली की खेती का समय, बेस्ट किस्म, बीज दर, उर्वरक, खरपतवार की तो और रोगों का नियंत्रण की संपूर्ण जानकारी इस आर्टिकल में मिलेगा आप सब अंत तक जरूर पढ़ें।
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मूंगफली की खेती मुख्य रूप से भारत में सबसे ज्यादा गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में की जाती है। जो की सबसे प्रमुख उत्पादन वाला राज्य गुजरात एवं राजस्थान को माना जाता है। क्योंकि यहां पर सबसे ज्यादा मूंगफली की खेती की जाती है। मूंगफली की बाजारों में काफी बड़ी डिमांड है इसीलिए आज के समय में बहुत सारे किस मूंगफली की खेती का नाम पसंद करते हैं। और अच्छे समय में इसकी खेती बहुत अच्छे से हो जाती है। क्योंकि किसानों को सबसे ज्यादा मुनाफा मूंगफली की खेती से हो जाता है।

मूंगफली की खेती के लिए जलवायु
मूंगफली की खेती के लिए गर्म और नाम जलवायु सबसे अच्छा माना जाता है। इसलिए इसकी खेती के लिए तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना आवश्यक है। और सबसे खास बात है कि मूंगफली की फसल को अच्छी बारिश की भी आवश्यकता होती है। लेकिन पानी का निकास अच्छा होना चाहिए यानी जल जमाव होने से फसल खराब भी हो सकता है।
मूंगफली खेती के लिए तैयारी और मिट्टी
अगर आप मूंगफली की खेती करने जा रहे हैं तो सबसे अच्छी मिट्टी का चुनाव करना आपकी सबसे पहली जिम्मेदारी होती है। तब जाकर आपको अच्छा उपज प्राप्त हो पाएगा। इसके लिए बोलूई दोमट मिट्टी, हल्की दोमट मिट्टी और जल निकास वाली मिट्टी को सबसे अच्छा माना जाता है। मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए जिस पर फसल का अच्छा प्रभाव पर मूंगफली की खेती के लिए अच्छी तरह से जुटाए और समकालिकरण आवश्यक होता है। खेत में दो से तीन बार गाड़ी जुटा करके मिट्टी को भुरभुरा बनाना चाहिए।
जुताई के बाद पता चला कर खेत को समतल कर लेना चाहिए। और सबसे खास बात है की समतल करने के बाद प्रति एक कर अनुसार 4 से 5 टन सारी हुई गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए। जिससे खेत काफी अच्छा उपजाऊ हो सके उसके बाद फिर से आपको जुटा दो से तीन बार करना होगा।
मूंगफली की खेती के लिए महत्वपूर्ण किस्मों की जानकारी –
किस्मों के नाम
- TG-37A: यह किस्म उच्च उपज देने वाली है, इसके पौधों की ऊँचाई मध्यम होती है। बीज का आकार मध्यम और एकसमान होता है, और परिपक्वता अवधि 115-120 दिनों की है।
- JL-24: इस किस्म की उपज अच्छी है, पौधों की ऊँचाई मध्यम है, और बीज का आकार बड़ा है। इसकी परिपक्वता अवधि 100-110 दिन है।
- ICGV- 91114: यह किस्म उच्च उपज प्रदान करती है और पौधों की ऊँचाई मध्यम है। बीज का आकार मध्यम होता है, और परिपक्वता 120-125 दिन है। इसकी विशेषता यह है कि यह सूखा सहनशील है।
- K-134: इस किस्म की उपज अच्छी है, पौधों की ऊँचाई मध्यम है, और बीज का आकार बड़ा है। परिपक्वता अवधि 115-120 दिन है, और यह रोग प्रतिरोधक है।
- Girnar 2: यह एक उच्च उपज वाली किस्म है, जिसमें पौधों की ऊँचाई मध्यम और बीज का आकार बड़ा होता है। इसकी परिपक्वता 120-125 दिन है, और यह सूखा सहनशील तथा रोग प्रतिरोधक है।
फसल में खाद और की मात्रा
मूंगफली के खेत में नाइट्रोजन 20 से 30 किलोग्राम प्रति एकड़ देना चाहिए। जबकि फास्फोरस 40 से 50 किलोग्राम प्रति एकड़ वहीं अगर पोटाश की बात की जाए तो 30 से 40 किलोग्राम प्रति एकड़ देने से उपजाऊ अच्छी होती है। और खाद एवं उर्वरक का प्रयोग बुवाई से पहले और बुवाई के 30 से 35 दिन के बाद दोबारा भी देना चाहिए। जैविक खाद जैसे कंपोस्ट और गोबर की खाद का भी उपयोग ज्यादा से ज्यादा मात्रा में करें।
खरपतवार की समस्या और नियंत्रण
मूंगफली की बुवाई जब कर देंगे तो उसे पर नियम के अनुसार खरपतवार आएगा ही उसका नियंत्रण करना आपकी जिम्मेदारी होती है। जो की फसल बुवाई के 15 से 20 दिन के बाद समय पर हाथों से निराई करना चाहिए। वही फसल वॉइस से पहले और बुवाई के 48 घंटे के अंदर फिर से दोबारा खरपतवार्नशी 700 मिली एकड़ प्रति उपयोग पेडिमथिन का उपयोग करना चाहिए। उसके 20 से 25 दिन के बाद फिर से इमेज जो था पायल खरपतवार नाशक का उपयोग 400 मिली प्रति एकड़ के अनुसार करना चाहिए।
फसल की कटाई की समय
मूंगफली की फसल की कटाई तब करेजा पटिया पीली हो जाए और फल कठोर बन जाए। कटाई के लिए खेत को गिला करना आवश्यक होता है जिस पौधे को उखाड़ कर धूप में सुखाया जा सके।
मूंगफली की खेती का प्रति एकड़ उत्पादन
अगर अच्छी उपजाऊ वाली भूमि है तो मूंगफली की फसल का औसत उत्पादन 12 से 15 क्विंटल प्रति एकड़ होता है। उन्नत तकनीक का और बेहतर किस्म के उपयोग से उत्पादन बढ़ाया भी जा सकता है।