Sarso Ki Kheti Kaise Kare: सरसों की खेती पूरे देश भर में की जाती है किसान भाई लोग सितंबर महीने में सरसों की बुवाई शुरू कर देते हैं। अगर किसान शुरू से ही खेती पर ध्यान देते हैं तो अच्छा उत्पादन भी प्राप्त कर सकते हैं। रवि की फसलों में भी सरसों का महत्वपूर्ण स्थान है। देश के कई राज्य जैसे राजस्थान, पंजाब, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश प्रमुख रूप से सरसों की खेती की जाती है। सरसों के बीच से तेल की मात्रा 60 से 70% तक निकल जाती है। क्योंकि मुख्य रूप से सरसों के तेल के लिए ही इसकी खेती की जाती है।
Sarso Ki Kheti Kaise Kare
सरसों की खेती आज के समय में उत्तर भारत में सबसे ज्यादा की जा रही है। क्योंकि बाजार में इसकी मांग भी काफी ज्यादा हो गया है किचन में तेल का सबसे ज्यादा खर्चा होता है। यह तेल सरसों से ही निकल जाती है। सरसों का तेल निकाला जाता है। इसकी खेती करने के लिए ज्यादा बालोई दमक मृदा में प्रयुक्त रूप से होती है। और थोड़ी सी सिंचाई करने पर भी अच्छा परिवार हो जाता है। इस सरसों की खेती करने के लिए ज्यादा खाद्य की भी जरूरत नहीं पड़ती है। इसलिए सभी किसान भाईयों को काफी ज्यादा मुनाफाइसकी खेती करने से हो जाती है।
सरसों की खेती के लिए सही समय और मिट्टी
सरसों की खेती सब ऋतु में की जाती है अच्छे उत्पादन के लिए 20 से 25 सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। वैसे तो इसकी खेती सभी मृदाओं में बहुत ही अच्छा उपज हो जाता है। मगर आप बहुत ज्यादा अच्छा उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं तो बालू दोमट मृदा में सर्वाधिक उपयुक्त होती है। इसलिए इसकी खेती के लिए फसल हल्की छायता को सहन कर सकती है। लेकिन मृदा अम्लीय भी नहीं होनी चाहिए इस पर भी आपको ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
सरसों की उन्नत किस्में
किसानों का हर साल बी करने की जरूरत नहीं होती है क्योंकि बाजार में काफी महंगे बी मिलता है। इसलिए सभी किसान भाई लोग पिछले वर्ष बोया था। उसी में से बच के लिए कुछ अलग से रख लेते हैं और जब बन का समय होता है। तो इस बी का उपयोग करते हैं क्योंकि बाजार में बहुत महंगे में बी मिलता है। और किसान भाई के लिए अच्छा फ्रेश बीज होता है जिसमें कुछ खाद्य पदार्थ मिलाकर वह देने से अच्छा उपज हो जाती है। बाजार में कई प्रकार की किस्म उपलब्ध है। हालांकि सभी सरसों की किस्म अच्छा उपज होती है। इसीलिए आप किसी प्रकार की सरसों का बीज बोल सकते हैं।
सरसों की खेती: बढ़िया उत्पादन के लिए कब और कैसे करें बुवाई
अगर आप भी सरसों की बुवाई करना चाहते हैं तो यह बिल्कुल सही समय है, क्योंकि इस समय बुवाई के लिए पर्याप्त नमी रहती है। सितम्बर महीने से किसान सरसों की बुवाई शुरू कर देते हैं, अगर किसान शुरू से ही खेती पर ध्यान देते हैं तो अच्छा उत्पादन पा सकते हैं।
रबी की फसलों में सरसों का महत्वपूर्ण स्थान है देश के कई राज्य जैसे राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश में मुख्यता से की जाती है। सरसों के बीज में तेल की मात्रा 30 से 48 प्रतिशत तक पायी जाती है।
सरसों की खेती के लिए सही समय और मिट्टी
सरसों की खेती शरद ऋतु में की जाती है। अच्छे उत्पादन के लिए 15 से 25 सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। वैसे तो इसकी खेती सभी मृदाओं में कई जा सकती है लेकिन बलुई दोमट मृदा सर्वाधिक उपयुक्त होती है। यह फसल हल्की क्षारीयता को सहन कर सकती है। लेकिन मृदा अम्लीय नहीं होनी चाहिए।
सरसों की उन्नत किस्में
किसानों को हर साल बीज खरीदने की जरूरत नहीं होती है क्योंकि बीज काफी महंगे आते हैं। इसलिए जो बीज आपने पिछले वर्ष बोया था यदि उसका उत्पादन या आपके किसी किसान साथी का उत्पादन बेहतरीन रहा हो तो आप उस बीज की सफाई और ग्रेडिंग करके उसमे से रोगमुक्त ओर मोटे दानों को अलग करें। इसके बाद बीजोपचार करके बुबाई करें तो भी अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे, लेकिन जिन किसान भाइयों के पास ऐसा बीज नहीं है वो निम्न किस्मों का बीज बुवाई कर सकते हैं।
आर एच 30 : यह किस्म सिंचित व असिंचित दोनों ही स्थितियों में अच्छा उत्पादन देती है। साथ इसे गेहूं, चना या फिर जौ के साथ भी बो सकते हैं।
टी 59 (वरूणा): इसकी उपज असिंचित 15 से 18 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती है। इसमें तेल की मात्रा 36 प्रतिशत होती है।
पूसा बोल्ड :- आर्शिवाद (आर. के. 01से 03) : यह किस्म देरी से बुवाई के लिए (25 अक्टुबर से 15 नवम्बर तक) उपयुक्त पायी गई है।
अरावली (आर.एन.393) : सफेद रोली के लिए मध्यम प्रतिरोधी है।
एनआरसी एचबी 101 : सेवर भरतपुर से विकसित उन्नत किस्म है इसका उत्पादन बहुत शानदार रहा है, सिंचित क्षेत्र के लिए बेहद उपयोगी किस्म है 20-22 क्विंटल उत्पादन प्रति हेक्टेयर तक दर्ज किया गया है।
एनआरसी डीआर 2 : इसका उत्पादन अपेक्षाकृत अच्छा है इसका उत्पादन 22 – 26 क्विंटल तक दर्ज किया गया है।
आरएच- 749 : इसका उत्पादन 24-26 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक दर्ज किया गया है।
खेत की तैयारी
सरसों की खेत की तैयारी करने की भी जरूरत होती है क्योंकि बोलने से पहले तीन से चार बार देशी हल से जुताई कर देनी चाहिए जिससे मिट्टी भुरभुरा हो जाए जब मिट्टी भुरभुरा होगा। तभी जाकर सरसों की खेती अच्छे से हो पाएगा। खेत में दीमक चितकबरा और अन्य कीटों का पलकों अधिक हो तो नियंत्रण के लिए अंतिम जुताई के समय कुणालफास 1.5% जून 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से अंतिम जुताई के साथ खेत में मिला देनी चाहिए। जिससे फसल को नुकसान होने से बचाया जा सकता है। और खेतों में सड़ी हुई गोबर की खाद का उपयोग या वर्मी कल्चर में मिलाकर अंतिम जुताई करने से काफी ज्यादा फायदे होते हैं।
सरसों की बुवाई के समय और तरीका
सरसों की बुवाई के लिए उपयुक्त तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तक रहना चाहिए। और इसकी बुवाई आप सितंबर अक्टूबर महीने में कर सकते हैं। सरसों की बुवाई करो में करनी चाहिए जिससे कतार से दूसरी कतार की दूरी 40 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी रखनी चाहिए। इस तरह से अगर आप खेती करते हैं तो सिंचाई करने में भी आपको सुविधा होगा और पैदावार भी अच्छा होगा।
बीज दर
सरसों की बुवाई 5 से 6 किग्रा सिंचित क्षेत्र में जबकि तीन से चार किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्राप्त रहता है।
उत्पादन
यदि जलवायु अच्छी हो तो सरसों की खेती काफी अच्छा हो जाता है। और वैज्ञानिक दिशा निर्देशों के अनुसार 25 से 30 किलोमीटर प्रति हेक्टेयर तक का उत्पादन किया जा सकता है।
खाद उर्वरक प्रबन्धन
सिंचित फसल के लिए 7 से 12 टन सड़ी गोबर, 175 किलो यूरिया, 250 सिंगल सुपर फॉस्फेट, 50 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश और 200 किलो जिप्सम बुबाई से पूर्व खेत मे मिलनी है, यूरिया की आधी मात्रा बुबाई के समय और शेष आधी मात्रा पहली सिंचाई के बाद खेत मे छिटकनी चाहिये,
असिंचित क्षेत्र में बारिश से पहले 4 से 5 टन सड़ी, 87 किलो यूरिया, 125 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट, 33 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से बुबाई के समय खेत में डालें।
सिंचाई
पहली सिंचाई बुवाई के 35 से 40 दिन बाद और दूसरी सिंचाई दाने बनने की अवस्था में करें।